
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट में आज एसआई भर्ती-2021 पेपर लीक मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस समीर जैन ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 26 मई तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं लिया गया, तो भर्ती प्रक्रिया से जुड़े लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सरकार ने मांगा समय, सब-कमेटी की बैठक 21 मई को
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) विज्ञान शाह ने कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र पेश किया। इसमें बताया गया कि सरकार ने भर्ती पर निर्णय लेने के लिए 13 मई को सब-कमेटी की बैठक बुलाई थी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के कारण कई मंत्री बैठक में शामिल नहीं हो सके। इसके अलावा, कमेटी के एक मंत्री की अस्वस्थता के कारण भी बैठक में फैसला नहीं हो पाया। अब सरकार ने 21 मई को सब-कमेटी की अगली बैठक निर्धारित की है, जिसमें लिए गए फैसले से कोर्ट को अवगत कराया जाएगा।
पिछली सुनवाई में भी सरकार बिना फैसले के
पिछली सुनवाई में अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि सरकार अभी किसी ठोस फैसले पर नहीं पहुंची है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए जस्टिस समीर जैन ने सरकार को 15 मई तक फैसला लेने का अंतिम मौका दिया था। हाईकोर्ट ने 21 फरवरी 2025 को सरकार को इस मामले में निर्णय लेने के लिए दो महीने का समय दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
भर्ती रद्द करने की सिफारिश
एसओजी, पुलिस मुख्यालय, एजी, और कैबिनेट सब-कमेटी ने एसआई भर्ती-2021 को रद्द करने की सिफारिश की है। इनका तर्क है कि पेपर लीक के कारण भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं। वहीं, दूसरी ओर ट्रेनिंग ले रहे सब-इंस्पेक्टर्स का कहना है कि पेपर लीक में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है। उन्होंने इस नौकरी के लिए अन्य सरकारी नौकरियां छोड़ी हैं और भर्ती रद्द होने पर उनके साथ अन्याय होगा।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस समीर जैन ने सरकार की ढिलाई पर असंतोष जताते हुए स्पष्ट किया कि कोर्ट अब और देरी बर्दाश्त नहीं करेगी। कोर्ट ने सरकार को 26 मई तक अंतिम फैसला लेने का अल्टीमेटम दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई अब और भी निर्णायक होगी।
क्या है मामला?
एसआई भर्ती-2021 में पेपर लीक के आरोपों ने पूरे चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस भर्ती के तहत चुने गए कई अभ्य ी अपनी ट्रेनिंग पूरी कर रहे हैं, लेकिन पेपर लीक की जांच और भर्ती रद्द करने की मांग ने मामला को जटिल बना दिया है। अब सभी की नजरें 21 मई की सब-कमेटी बैठक और सरकार के अंतिम फैसले पर टिकी हैं। यह मामला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बल्कि सैकड़ों अभ्यर्थियों के भविष्य से भी जुड़ा है, जिसके चलते हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में अहम साबित होगा।