मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने पहली बार जातीय जनगणना को लेकर सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी है। केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के फैसले के बाद निशांत ने इस कदम की खुले दिल से सराहना की है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पहले से ही जातीय जनगणना के प्रबल समर्थक रहे हैं और बिहार में इसके सफल क्रियान्वयन की मिसाल पहले ही दी जा चुकी है।
निशांत ने 2022 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार ने इस दिशा में पहल कर मिसाल कायम की थी। इस सर्वे के आधार पर राज्य सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65% कर दी थी, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी को शामिल किया गया था। हालांकि, इस फैसले को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में निशांत कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना का निर्णय केंद्र सरकार का स्वतंत्र फैसला है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसे नेता इस मुद्दे पर राजनीतिक क्रेडिट लेने की होड़ में हैं। उन्होंने साफ किया कि यह कहना सही नहीं होगा कि केंद्र ने विपक्ष के दबाव में आकर यह फैसला लिया है।
निशांत ने कहा, "यह केंद्र सरकार का फैसला है और इसके लिए वह प्रशंसा की हकदार है। यह हमारे पिता के विचारों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की दिशा में एक अहम कदम है।"
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