
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा लिए गए कड़े निर्णयों के जवाब में पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच सभी द्विपक्षीय समझौतों को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। सबसे बड़ा फैसला यह रहा कि पाकिस्तान ने 1972 का ऐतिहासिक शिमला समझौता रद्द कर दिया है।
ये निर्णय पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की आपातकालीन बैठक में लिए गए, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की।
पाकिस्तान ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि भारत सिंधु जल संधि को पूरी तरह से रद्द करता है, तो इसे पाकिस्तान "युद्ध की कार्यवाही (Act of War)" के तौर पर मानेगा। भारत ने इससे पहले 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते को स्थगित करने की घोषणा की थी।
शिमला समझौता रद्द:
भारत-पाक के बीच 1972 में हस्ताक्षरित शांति समझौते को पाकिस्तान ने निरस्त कर दिया।
SAARC SVE वीजा सेवा निलंबित
सभी भारतीय नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं स्थगित, सिख तीर्थयात्रियों को अस्थायी छूट।
48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश:
पाकिस्तान में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
व्यापारिक रिश्ते खत्म:
भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियाँ पूरी तरह बंद कर दी गई हैं।
हवाई क्षेत्र बंद:
भारत की सभी एयरलाइनों के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है।
वाघा बॉर्डर सील:
वाघा-अटारी बॉर्डर को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि स्थगित करने, अटारी बॉर्डर बंद करने, पाकिस्तानी वीजा रद्द करने, और पाकिस्तान उच्चायोग में स्टाफ घटाने जैसे कड़े फैसले लिए थे। यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाए गए, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान गई थी और जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों पर बताई जा रही है।
भारत और पाकिस्तान के बीच यह टकराव अब राजनयिक स्तर से आगे बढ़कर आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर भी नजर आ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात नियंत्रित नहीं हुए तो यह क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।