अपराध

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमला: क्या यह संयोग था या सोची-समझी रणनीति?

23, Apr 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 52

22 अप्रैल 2025 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत में मौजूद थे, उसी दिन जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने एक बड़ा हमला कर दिया। यह हमला कश्मीर घाटी के पहलगाम इलाके में हुआ, जिसमें कई पर्यटकों की जान चली गई। यह घटना एक बार फिर से भारत और अमेरिका के रिश्तों और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के संदर्भ में अहम सवाल खड़े करती है। खास बात यह है कि 25 साल पहले, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे, तब भी कश्मीर में आतंकवादियों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था।

इसलिए सवाल यह उठता है कि क्या कश्मीर में ऐसा हमला सिर्फ एक संयोग था या फिर यह आतंकवादियों की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था। इस संदर्भ में चार प्रमुख थ्योरी प्रस्तुत की जा रही हैं, जो इस हमले के पीछे के आतंकियों के मंसूबों को समझने में मदद कर सकती हैं।


1. भारत और अमेरिका के बढ़ते रिश्तों पर निशाना:

अमेरिका और भारत के बीच हाल के वर्षों में रिश्ते मजबूत हुए हैं, और यह हमला इस मजबूत साझेदारी के खिलाफ एक संदेश हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सऊदी अरब दौरा और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का भारत में होना, दोनों देशों के बढ़ते संबंधों को दर्शाता है। आतंकवादियों के लिए यह मौका था कि वे भारत और अमेरिका के रिश्तों को खराब करने के लिए कश्मीर में एक बड़ा हमला करें।

इस हमले का उद्देश्य यह हो सकता है कि कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे को फिर से तूल दिया जाए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस दिशा में खींचा जाए। इससे भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को कमजोर करने की कोशिश की जा सकती है।


2. कश्मीर घाटी में अस्थिरता बनाए रखने की रणनीति:

आतंकवादी संगठन हमेशा कश्मीर में अस्थिरता बनाए रखने की कोशिश करते रहे हैं। जब भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर कश्मीर का मुद्दा तूल पकड़ता है, आतंकवादी गतिविधियां बढ़ जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हमला कश्मीर में अस्थिरता फैलाने की एक सोची-समझी योजना का हिस्सा हो सकता है, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान और समर्थन कश्मीर पर बने रहें।

इस हमले के माध्यम से आतंकवादी संगठन यह संदेश देना चाहते हैं कि वे कश्मीर में अपनी उपस्थिति और ताकत बनाए रखे हुए हैं और भारत को कश्मीर में शांति स्थापित करने में मुश्किलें आती रहेंगी।


3. पूर्ववर्ती हमलों से मिलती-जुलती रणनीति:

यह हमला 1999 के पुलवामा हमले और 2001 के संसद हमले जैसी घटनाओं से मिलती-जुलती रणनीति को दर्शाता है, जहां आतंकवादियों ने ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया, जब भारत और वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण राजनयिक गतिविधियां हो रही थीं। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान भी 1995 में एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था, जिसने कश्मीर में अस्थिरता और तनाव को और बढ़ा दिया था।

इस तरह की घटनाओं से यह भी संदेश जाता है कि आतंकवादी संगठन किसी खास समय और स्थान का चुनाव करते हैं, ताकि उनकी गतिविधियों का वैश्विक स्तर पर ज्यादा प्रभाव पड़े और उनकी बात सुनी जाए।


4. पाकिस्तान का समर्थन और आतंकी नेटवर्क:

कश्मीर में आतंकवादियों के पीछे अक्सर पाकिस्तान का हाथ होने का आरोप लगता है। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसी समूह कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सक्रिय रहते हैं। यह भी एक संभावना है कि पाकिस्तान या उसके समर्थक आतंकवादी संगठन भारत में हो रहे अंतरराष्ट्रीय संवादों और बदलते राजनीतिक माहौल का फायदा उठाने के लिए कश्मीर में ऐसे हमले कर रहे हों।

इस हमले का उद्देश्य भारत की सुरक्षा स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निशाना बनाना और कश्मीर में भारतीय सत्ता को कमजोर करना हो सकता है। पाकिस्तान और इन आतंकवादी समूहों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कश्मीर में शांति प्रक्रिया को विफल किया जाए और भारत की स्थिति को चुनौती दी जाए।



About author

News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news

AB 208 Nirman Nagar Vivekanand Marg Ajmer road jaipur - 302019


Scroll to Top