
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जिन 27 लोगों की जान गई, उनमें एक नाम भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का भी था। विनय हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले थे और महज 3 साल पहले ही इंडियन नेवी में भर्ती हुए थे। विनय की शादी को सिर्फ 7 दिन हुए थे। वे अपनी पत्नी हिमांशी के साथ हनीमून मनाने पहलगाम गए थे, जहां आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
विनय और हिमांशी की शादी उत्तराखंड के मसूरी में एक डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में बड़ी धूमधाम से हुई थी। शादी के बाद दोनों ने यूरोप में हनीमून मनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अंतिम समय में वीजा न मिलने के कारण उन्हें यात्रा रद्द करनी पड़ी। फिर उन्होंने विकल्प के रूप में पहलगाम की यात्रा का फैसला किया, जो अब एक भीषण त्रासदी में बदल गया।
विनय के दादा हवा सिंह ने नम आँखों से से बातचीत में कहा:
"काश उनका यूरोप का वीजा लग जाता... तो मेरा पोता आज जिंदा होता।"
दादा की आवाज टूटती रही, लेकिन उनके शब्दों में गहरा दर्द और अफसोस साफ झलक रहा था। उन्होंने बताया कि विनय बचपन से ही होनहार था और देश सेवा का जज्बा उसमें कूट-कूट कर भरा हुआ था।
परिवार के लिए यह दुख और भी बड़ा है, क्योंकि विनय का 1 मई को जन्मदिन था, और यह शादी के बाद उनका पहला बर्थडे होता। परिवार ने इसे लेकर भव्य सेलिब्रेशन की योजना बना रखी थी। सबने सोचा था कि पहले शादी, फिर हनीमून, और फिर जन्मदिन — यह पूरा महीना यादगार होगा, लेकिन किसे पता था कि यह एक शोकपूर्ण स्मृति बन जाएगी।
विनय की पत्नी हिमांशी भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हुई हैं और उन्हें इलाज के लिए श्रीनगर लाया गया है। दोनों को 3 मई को कोच्चि लौटना था, जहां विनय की अगली ड्यूटी थी। अब वहां सिर्फ एक खाली कुर्सी और कठिन यादें रह गई हैं।
विनय नरवाल की यह कहानी सिर्फ एक शहीद की नहीं, बल्कि एक नई ज़िंदगी की शुरुआत में बिछड़ने की मार्मिक दास्तान है। ये घटना न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे देश को झकझोर देती है — कि कैसे आतंक का एक हमला कई सपनों को, कई जिंदगियों को छीन लेता है।