अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध को लेकर गंभीर चिंता जताई है। मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में आईएमएफ ने स्पष्ट कहा कि अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और उसके जवाब में बीजिंग द्वारा उठाए गए कदमों से वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
आईएमएफ के ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक, वर्ष 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था महज 2.8% की दर से बढ़ेगी, जो जनवरी में जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुमान से 0.5% कम है। हालांकि, संस्था को उम्मीद है कि 2026 में यह रफ्तार बढ़कर 3.0% तक पहुंच सकती है, जो पहले के पूर्वानुमान से 0.3% कम है।
आईएमएफ ने अपने संशोधित अनुमानों में इस साल अब तक लागू किए गए कुछ टैरिफ उपायों को शामिल किया है, लेकिन अप्रैल के बाद उठाए गए सभी कदमों को इसमें जोड़ा नहीं गया है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया कि 4 अप्रैल 2025 तक के टैरिफ उपायों का मूल्यांकन किया गया है, लेकिन उसके बाद अमेरिका और चीन द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ शामिल नहीं हैं। अगर इन नए टैरिफ को स्थायी मान लिया जाता है, तो दोनों ही देशों—अमेरिका और चीन—को 2026 और उसके बाद भी आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गोरिंचास ने रिपोर्ट जारी होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा,
"हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहां पिछले 80 वर्षों से चली आ रही वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को नए सिरे से पुनर्गठित किया जा रहा है।"
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा शुरू की गई टैरिफ नीति के चलते अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में भारी तनाव आ गया है। दोनों देशों के बीच टैरिफ दरें अब 60% से ऊपर पहुंच चुकी हैं—एक ऐसा स्तर जिसे कई अर्थशास्त्री वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक मानते हैं।
आईएमएफ ने चेतावनी दी कि इस तरह की टैरिफ नीति और व्यापारिक तनाव से न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी, बल्कि द्विपक्षीय व्यापार को भी गंभीर नुकसान होगा। इससे रोजगार, निवेश और उपभोक्ता विश्वास पर भी असर पड़ेगा, खासकर ऐसे समय में जब दुनिया की अर्थव्यवस्था पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रही है।
इस रिपोर्ट ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता—और इसकी सबसे बड़ी कीमत दोनों देशों को ही चुकानी पड़ सकती है।