
म्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम की बैसरन घाटी मंगलवार दोपहर खौफ का मंजर बन गई। दोपहर करीब 2:45 बजे चार आतंकियों ने अचानक पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। ये पर्यटक बैसरन की खूबसूरत वादियों में सैर के लिए आए थे, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि कुछ ही पलों में यह घाटी मौत का मैदान बन जाएगी।
हमले में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। मृतकों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, नेपाल और यूएई के पर्यटक शामिल हैं। हमले के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर जान बचाकर भागने लगे।
प्रत्यक्षदर्शियों और अधिकारियों के अनुसार, फायरिंग करने वाले आतंकी भारतीय सेना की वर्दी में थे। जब गोलीबारी के बाद सेना की टुकड़ियां मौके पर पहुंचीं, तो वहां मौजूद महिलाएं और बच्चे उन्हें भी आतंकवादी समझ बैठे। डर और भ्रम की स्थिति बन गई। कई लोगों ने छिपने की कोशिश की और सेना के जवानों से दूरी बनाई।
सेना को स्थिति नियंत्रित करने में समय लगा। जवानों ने स्थानीय लोगों को समझाया कि वे भारतीय सेना के सदस्य हैं और उनकी सुरक्षा के लिए आए हैं। इसके बाद ही घायलों को निकालकर अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकी।
आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी विंग The Resistance Front (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले को अंजाम देने वाले चार आतंकियों में दो विदेशी और दो स्थानीय थे। ये सभी लंबे समय से घाटी में सक्रिय थे और हमले की योजना कई हफ्तों से बना रहे थे।
हमले से जुड़ी जो रिपोर्ट सामने आई है, वह और भी दिल दहला देने वाली है। यूपी के रहने वाले शुभम द्विवेदी से आतंकियों ने पहले उनका नाम पूछा, फिर उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा। बाद में उनकी पहचान के आधार पर सिर में गोली मार दी गई। यह घटना न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि एक खास विचारधारा के तहत किए गए आतंक को दर्शाती है।
हमले के बाद देश के सभी बड़े शहरों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। वहीं, उरी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को सेना ने मार गिराया है। माना जा रहा है कि इस हमले के बाद घाटी में और भी आतंकी हमलों की साजिश हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब का अपना दो दिवसीय दौरा बीच में छोड़कर बुधवार सुबह भारत लौट आए हैं। वे दिल्ली में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक करेंगे। इस बैठक में हमले की गंभीरता, सुरक्षा व्यवस्था और जवाबी रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
यह हमला 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकवादी हमला माना जा रहा है। पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए थे और उसकी जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।