जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में 23 साल की गर्भवती महिला चैना की मौत का दुखद और चिंताजनक मामला सामने आया है। टोंक जिले की रहने वाली चैना को 12 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे बहुत कम हीमोग्लोबिन, माइलरी ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और अन्य गंभीर बीमारियां थीं, जिसकी वजह से उसकी हालत पहले से ही नाजुक थी। 19 मई को अस्पताल ने उसके खून के सैंपल के आधार पर उसे A पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का खून दिया, लेकिन बाद में जब दूसरी जांच हुई तो पता चला कि उसका असली ब्लड ग्रुप B पॉजिटिव था। इस गलती के कारण महिला को खून चढ़ाने के बाद गंभीर प्रतिक्रिया हुई, जिसमें बुखार, ठंड लगना और तेज दिल की धड़कन जैसी समस्या सामने आई, जिससे उसकी स्थिति और खराब हो गई।
इलाज कर रही डॉक्टर स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि वह उस समय छुट्टी पर थीं और ट्रांसफ्यूजन के दौरान महिला की स्थिति खराब होने की जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा कि चैना पहले से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी और भ्रूण की मृत्यु के बाद उसकी हालत और बिगड़ी थी।
महिला के परिवार ने अस्पताल पर आरोप लगाया है कि उन्हें गलत खून चढ़ाए जाने की पूरी जानकारी नहीं दी गई और इस घटना से उन्हें बड़ा नुकसान हुआ। परिवार ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और जवाबदेही पर सवाल उठाए हैं। वहीं अस्पताल की तरफ से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान या जांच की घोषणा नहीं की गई है। यह मामला न केवल चिकित्सा त्रुटि की चिंता को उजागर करता है, बल्कि अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और जिम्मेदारी की भी गंभीरता को सामने लाता है। इस घटना से अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा व्यवस्था की जांच और सुधार की मांग बढ़ गई है ताकि भविष्य में ऐसी त्रुटियां न हों और मरीजों को सुरक्षित इलाज मिल सके।
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