
पुंछ ज़िले के करमाडा गांव में नियंत्रण रेखा (LoC) के बिलकुल करीब बसे मोहम्मद शरीफ का घर आखिरी सरहदी घर है। लंबे समय तक सऊदी अरब में कारोबार करने के बाद अब वह अपने परिवार के साथ पुंछ लौट आए हैं। उनका कहना है कि जब LoC पर गोलाबारी बंद होती है और अमन कायम रहता है, तब यहाँ की ज़िंदगी किसी भी अमीर देश से कम नहीं लगती।
"अगर फायरिंग न हो, तो पुंछ की ज़िंदगी सऊदी से भी बेहतर है," शरीफ ने मुस्कुराते हुए कहा। "लेकिन जब गोलाबारी होती है, तो लगता है कि सब कुछ खत्म हो गया है। अमन है तो ज़िंदगी है, वरना कुछ नहीं।"
शरीफ का घर उस स्थान पर है जहाँ से LoC और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) साफ दिखाई देते हैं। ऐसे में तनाव के समय खतरा और भी बढ़ जाता है। वे बताते हैं कि जब तक बंकर नहीं बना था, तब तक हर पल ज़िंदगी खतरे में रहती थी।
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच पांच दिन तक चला संघर्ष 11 मई की शाम को सीजफायर के साथ थम गया। इसके बाद LoC के आसपास के इलाकों में सुरक्षा बलों ने सैनेटाइजेशन ऑपरेशन शुरू कर दिया है। जवान इलाके में गश्त कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कहीं कोई जिंदा बम, मिसाइल, शेल या ड्रोन मलबे में छिपा न हो। ऐसे खतरनाक उपकरणों को तलाश कर निष्क्रिय किया जा रहा है।
शरीफ और उनके जैसे सीमावर्ती गांवों के लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि सरहद पर यह अमन लंबे समय तक बना रहे, ताकि उनकी ज़िंदगी में फिर से स्थिरता और सुकून लौट सके।
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