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आसमान में अभेद्य कवच - भारत का अजेय एयर डिफेंस सिस्टम : कर्नल देव आनंद.

18, May 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 27

21वीं सदी में जहां युद्ध केवल जमीन तक सीमित नहीं रहा, वहीं आसमान में सुरक्षा अब किसी भी देश की संप्रभुता की पहली शर्त बन चुकी है। भारत, जो एक समय केवल रक्षा आयात पर निर्भर था, आज एक ऐसा देश बन चुका है जिसने अपने वायु क्षेत्र की सुरक्षा को इतना मजबूत कर लिया है कि पाकिस्तान जैसी शत्रु देश की एक भी मिसाइल, ड्रोन या विमान उसकी सीमा में दाखिल नहीं हो पा रहा है। इसका श्रेय जाता है भारत के अत्याधुनिक और बहुस्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम को, जिसने देश को 'आसमान में अभेद्य कवच' प्रदान किया है। 
भारत की वायु रक्षा प्रणाली... 
रणनीतिक रूप से वायु रक्षा प्रणाली चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। काउंटर ड्रोन एवं MPAD (मेन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम), शॉर्ट रेंज (15-40 किमी), मीडियम रेंज (30-100 किमी) और लॉन्ग रेंज (100 किमी से अधिक)। इन सभी स्तरों पर भारत ने स्वदेशी तकनीकों के साथ-साथ वैश्विक सहयोग से एक संतुलित और बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था बनाई है। भविष्य की दिशा की बात करें तो भारत अब Akash-NG और XRSAM जैसी नई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनसे वायु रक्षा और अधिक प्रभावशाली तथा आत्मनिर्भर बन सकेगी।
एयर डिफेंस के हिस्से। एक प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम कई प्रमुख हिस्सों से मिलकर बनता है, जो मिलकर देश की वायु सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम (IADS):-  एक ऐसा समन्वित ढांचा है जो देश की वायु सीमाओं की निगरानी, पहचान, ट्रैकिंग और शत्रु के हवाई खतरों को निष्क्रिय करने के लिए सेना, नौसेना और वायुसेना के संसाधनों को एकीकृत करता है। इसमें रडार, मिसाइल सिस्टम, एयरक्राफ्ट, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क, और सिविलियन एविएशन सिस्टम की भी भूमिका होती है।
सेंसिंग और रडार सिस्टम:- जो हवाई लक्ष्यों जैसे लड़ाकू विमान, ड्रोन या मिसाइलों का पता लगाने और ट्रैक करने का कार्य करता है। IACCS (Integrated Air Command and Control System): भारतीय वायुसेना का नेटवर्क-सेंट्रिक प्लेटफॉर्म जो सभी रडार, सेंसर, एयर डिफेंस यूनिट्स और लड़ाकू विमानों को एक साथ जोड़ता है। AFNET (Air Force Network): अत्याधुनिक संचार और डाटा शेयरिंग प्रणाली।

Rohini Radar: मोबाइल 3D रडार, L&T द्वारा निर्मित।
Swordfish Radar: लंबी दूरी का ट्रैकिंग रडार, मुख्य रूप से A-SAT और बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए।
INDRA Radar: लो-लेवल ट्रैकिंग के लिए।
AEW&C (Airborne Early Warning & Control): DRDO द्वारा विकसित, और IAF के EMB-145 प्लेटफॉर्म पर।

कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (C2):- 
जो प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण कर निर्णय लेता है कि किस लक्ष्य को कब और कैसे नष्ट किया जाए। तीसरा हिस्सा होता है। 

मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम :- 
जिसमें शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज की मिसाइलें शामिल होती हैं, जो दुश्मन के हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाती हैं।

Akash SAM (Surface to Air Missile): 25 किमी रेंज, भारत में विकसित।
MR-SAM/Barak-8: DRDO और इज़रायली IAI का संयुक्त प्रोजेक्ट, 70-100 किमी रेंज।
SPYDER (Israel): त्वरित प्रतिक्रिया के लिए शॉर्ट और मीडियम रेंज मिसाइल सिस्टम।
S-400 Triumf (Russia): अत्याधुनिक लंबी दूरी का SAM सिस्टम (400 किमी रेंज)।
QRSAM: DRDO द्वारा विकसित, सेना की त्वरित प्रतिक्रिया यूनिट्स के लिए।

इंटरसेप्टर लड़ाकू विमान:- 
Su-30MKI: वायुसेना का मुख्य लड़ाकू विमान, एयर डॉमिनेंस के लिए।
Rafale: फ्रांस से प्राप्त, आधुनिक रडार, AESA और Meteor मिसाइल से लैस।
Tejas LCA: स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान, छोटे मिशनों के लिए उपयुक्त।
MiG-29 और Mirage 2000: इंटरसेप्शन और स्ट्राइक दोनों के लिए।

नौसेना और थलसेना के सिस्टम
Barak-1 और Barak-8: भारतीय नौसेना के फ्रिगेट्स और डेस्ट्रॉयर्स पर।
QRSAM(Quick Reaction Surface to Air Missile) और आकाश एवं आकाश तीर थलसेना के साथ तैनात।
Coastal Radar Chain: नौसेना द्वारा भारतीय तटों की निगरानी के लिए।

सपोर्टिंग इक्विपमेंट:-
ट्रांसपोर्ट व्हीकल, मोबाइल लॉन्चर और कनेक्टिविटी नेटवर्क पूरे सिस्टम को गतिशील और प्रतिक्रियाशील बनाते हैं। इन सभी हिस्सों का समन्वय ही एयर डिफेंस सिस्टम को बहुस्तरीय, लचीला और प्रभावशाली बनाता है।

इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और साइबर डिफेंस:- 
एयरफोर्स और NTRO की यूनिट्स शत्रु के ड्रोन कम्युनिकेशन को जाम करती है। कुछ लो-फ्लाइंग UAVs को DRDO’s Directed Energy Weapons (prototype) से भी टारगेट किया जा सकता है।

आईए जानते हैं भारत के पास अलग-अलग श्रेणी में आने वाली मिसाइल के बारे में :- 
सरफेस-टू-सरफेस मिसाइलें:-  ज़मीन से ज़मीन तक की घातक मार । भारत की सरफेस-टू-सरफेस मिसाइलें मुख्य रूप से सामरिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती हैं। इनमें परमाणु हथियार ले जाने की भी क्षमता होती है।प्रमुख मिसाइलें:
अग्नि-1:-  (700–1,200 किमी): परमाणु क्षमता से लैस, मोबाइल लॉन्चर पर आधारित।
अग्नि-2:-  (2,000–2,500 किमी): दो चरणों वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
अग्नि-3 :- (3,000–3,500 किमी): गहरी मारक क्षमता और भारी वारहेड ले जाने की क्षमता।
अग्नि-4:- (4,000 किमी): अत्यधिक सटीकता, बेहतर रडार चकमा देने वाली तकनीक।
अग्नि-5:- (5,000–7,000 किमी): इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, भारत की सबसे लंबी दूरी की मिसाइल।
पृथ्वी-II:-  (250–350 किमी): कम दूरी की लेकिन अत्यधिक सटीकता वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
शौर्य (750–2,000 किमी): सुपरसोनिक और ठोस ईंधन आधारित, दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम।

सरफेस-टू-एयर मिसाइलें: ......
भारत की Surface-to-Air Missile (SAM) प्रणालियाँ देश की वायु सीमाओं को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। ये मिसाइलें स्वदेशी और विदेशी तकनीकों का मिश्रण हैं, जो शॉर्ट रेंज से लेकर लंबी दूरी तक की हवाई खतरों का मुकाबला करने में सक्षम हैं।
आकाश मिसाइल :– स्वदेशी मध्यम दूरी की मिसाइल, 30 किमी तक लड़ाकू विमानों व ड्रोन को मार गिराने में सक्षम और यह लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और क्रूज मिसाइलों को भेदने में सक्षम है। यह थलसेना और वायुसेना दोनों के लिए तैनात की गई है,
MR-SAM / बाराक-8 :– भारत-इज़राइल द्वारा विकसित 100 किमी रेंज वाली एडवांस एयर डिफेंस प्रणाली।
QRSAM यानी Quick Reaction Surface to Air Missile : – थल सेना के लिए त्वरित प्रतिक्रिया देने वाली 30 किमी रेंज वाली मोबाइल स्वदेशी प्रणाली है जिसे सेना की मोबाइल रेजीमेंट्स के लिए विकसित किया गया है। यह "फायर एंड फॉरगेट" तकनीक से लैस है। 
स्पाइडर :- इज़राइली शॉर्ट और मीडियम रेंज SAM सिस्टम जो त्वरित प्रतिक्रिया में सक्षम है।
VL-SRSAM :– नौसेना के युद्धपोतों की रक्षा हेतु विकसित 40 किमी रेंज वाली वर्टिकल लॉन्च प्रणाली।
S-400 ट्रायंफ :– रूस से प्राप्त 400 किमी रेंज की अत्याधुनिक दीर्घ दूरी वायु रक्षा प्रणाली।
S-125 Pechora: – पुरानी रूसी प्रणाली, सीमित दूरी (35 किमी) तक टारगेट को मार गिराने में सक्षम।

एयर-टू-एयर मिसाइलें: 
आकाश में दुश्मन को गिराने वाली शक्ति भारतीय वायुसेना की ताकत का एक बड़ा आधार उसकी अत्याधुनिक एयर-टू-एयर मिसाइलें हैं, जो दुश्मन के विमानों को आसमान में ही तबाह करने की क्षमता रखती हैं।
प्रमुख मिसाइलें:
अस्त्र Mk-1 (110 किमी): भारत की पहली स्वदेशी BVR (Beyond Visual Range) मिसाइल।
अस्त्र Mk-2 (160–200 किमी): विकासाधीन, अधिक दूरी और स्मार्ट सेंसरों से युक्त।
R-77 (RVV-AE) (80–100 किमी): रूस से आयातित, Su-30MKI विमानों में उपयोग।
MICA (60–80 किमी): फ्रांस से ली गई, मिराज और राफेल विमानों के लिए उपयुक्त।
Meteor (150+ किमी): अत्याधुनिक रैमजेट तकनीक से युक्त, राफेल में तैनात, दुनिया की सबसे जानलेवा BVR मिसाइलों में शामिल।

पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें: गहराइयों से उठती मार समुद्री प्रतिरोध भारत की त्रि-सेना रणनीति का एक अहम हिस्सा है। भारत ने ऐसी मिसाइलें विकसित की हैं जो पनडुब्बियों से समुद्र की गहराइयों से हवा या जमीन पर हमला कर सकती हैं।
प्रमुख मिसाइलें:
K-15 (सागरिका) (750 किमी): INS Arihant पनडुब्बी से लॉन्च, परमाणु क्षमता से लैस।
K-4 (3,500 किमी): लंबी दूरी की SLBM, भारत के रणनीतिक प्रतिरोध की रीढ़।
ब्रह्मोस-नेवल वर्जन (290–450 किमी): सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, पनडुब्बी से भी लॉन्च की जा सकती है।
Harpoon (124 किमी): अमेरिका से ली गई एंटी-शिप मिसाइल, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों में तैनात।

ऐन्टी ड्रोन प्रणाली...
D4 एंटी-ड्रोन सिस्टम:-  यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित एंटी-ड्रोन सिस्टम है, जिसे DRDO ने BEL और अन्य कंपनियों के साथ मिलकर बनाया। यह Detect, Deter, Destroy के सिद्धांत पर काम करता है। इसमें हाई-रेज़ोल्यूशन रडार, RF डिटेक्टर, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सेंसर और जैमर लगे होते हैं। यह सिस्टम 4 किलोमीटर तक की रेंज में ड्रोन को पहचान सकता है और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग या लेजर आधारित हथियार से उन्हें मार गिरा सकता है।
Smash-2000 Plus Smart Shooter System: यह एक इज़रायली ऑटोमेटेड फायर कंट्रोल सिस्टम है, जिसे राइफल पर माउंट किया जाता है। यह ऑप्टिकल सेंसर और AI की मदद से उड़ते हुए ड्रोन्स को ट्रैक कर उन्हें सटीकता से शूट कर सकता है।
स्काईडोम (SkyDome) सिस्टम : – इज़रायली तकनीक पर आधारित नेटवर्केड सुरक्षा प्रणाली। इसमें रडार, EO/IR सेंसर, RF डिटेक्शन और जैमिंग सिस्टम एक साथ जुड़े होते हैं। यह एक व्यापक क्षेत्र में ड्रोन की उपस्थिति को ट्रैक कर उसे 'kill chain' में डाल देता है। इसने सटीक लोकेशन ट्रैकिंग कर अन्य सिस्टमों (जैसे D4 और Smash-2000) को टारगेट तय करने में मदद की।
Mobile Anti Drone Vehicles (MADV):  यह BEL द्वारा विकसित मोबाइल प्लेटफॉर्म है, जिसमें 360° रडार कवरेज, RF जैमिंग और हार्ड किल विकल्प (लेजर/बुलेट) मौजूद हैं। एक वाहन से पूरे क्षेत्र में निगरानी, ट्रैकिंग और त्वरित प्रतिक्रिया संभव होती है।
Net-Guns, High-Powered Jammers, और Microwave Weapons (प्रयोगात्मक स्तर पर)।

 



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