
महाराष्ट्र के लातूर जिले में शनिवार, 17 मई को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने नारायण ई-टेक्नो स्कूल में जमकर तोड़फोड़ की। पार्टी का आरोप है कि यह स्कूल बिना सरकारी अनुमति के संचालित हो रहा है और छात्रों के अभिभावकों से 75,000 से लेकर एक लाख रुपये तक की अवैध अतिरिक्त फीस वसूली जा रही है।
MNS लातूर जिला अध्यक्ष किरण चव्हाण ने मीडिया से बातचीत में बताया कि स्कूल को लेकर उन्हें कई शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद उन्होंने इस मामले की जानकारी शिक्षा विभाग को दी। उनके अनुसार, विभाग के निरीक्षण में यह सामने आया कि स्कूल के पास संचालन की कोई वैध मंजूरी नहीं है।
चव्हाण ने कहा, "बच्चों और उनके माता-पिता का आर्थिक शोषण हो रहा था। शिक्षा विभाग ने स्कूल को बंद करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद स्कूल चालू था। हमने कार्रवाई इसलिए की, क्योंकि प्रशासन और पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।"
दूसरी ओर, स्कूल के प्रधानाचार्य रविकांत शिंदे ने MNS के सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि स्कूल की मान्यता प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब समय पर दिया गया है और महाराष्ट्र सरकार ने स्कूल को आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 18 महीने का समय दिया है।
शिंदे ने आरोप लगाया कि, "MNS कार्यकर्ताओं ने तय समयसीमा खत्म होने से पहले ही स्कूल परिसर में जबरन घुसकर तोड़फोड़ की। हमारी ओर से सभी प्रक्रियाएं नियमानुसार चल रही हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव बनाने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाया गया।"
प्रधानाचार्य ने प्रशासन से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि शिक्षा से जुड़े मामलों को राजनीतिक रंग न दिया जाए। उन्होंने जोर दिया कि स्कूल का संचालन पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है और सरकारी पोर्टल की तकनीकी समस्याओं के कारण भौतिक दस्तावेज जमा कराने पड़े।
इस घटना ने लातूर में शिक्षा व्यवस्था और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस विवाद में क्या रुख अपनाता है और क्या कार्रवाई होती है।