
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत की नीति किसी से शत्रुता करने की नहीं है, लेकिन अगर कोई देश या शक्ति दुस्साहस करती है, तो भारत उसे सबक सिखाने में भी पीछे नहीं हटेगा।
डॉ. भागवत जयपुर के सीकर रोड स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित संत रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया प्रेम और शांति की भाषा तभी सुनती है, जब आपके पास अपनी रक्षा करने की सामर्थ्य हो।
उन्होंने कहा, "यह दुनिया का स्वभाव है, इसे बदला नहीं जा सकता। इसलिए यदि हम विश्व कल्याण की दिशा में काम करना चाहते हैं, तो हमें सामर्थ्यवान बनना होगा।"
अपने संबोधन के दौरान डॉ. भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके रविनाथ आश्रम आने को लेकर कुछ लोगों के मन में सवाल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, "लोग सोच सकते हैं कि मैं यहां क्यों आया हूं, लेकिन इसका सीधा उत्तर है – मैं रविदास जी का भक्त हूं। उन्हीं की प्रेरणा और श्रद्धा से इस आश्रम में आया हूं।"
डॉ. भागवत के इस बयान को देश की आंतरिक और बाहरी नीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां भारत की ताकत और सांस्कृतिक जड़ों की चर्चा बार-बार सामने आती है। उनके इस दौरे से सामाजिक एकता और समरसता के संदेश को भी बल मिला है।
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