
भारतीय टेस्ट क्रिकेट को बड़ा झटका देते हुए रोहित शर्मा और विराट कोहली ने क्रमशः 7 और 12 मई को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। इन दो दिग्गज खिलाड़ियों के रिटायरमेंट के बाद अब भारतीय टेस्ट टीम एक नए युग में प्रवेश कर रही है, जहां अनुभव के साथ नेतृत्व की कमी भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है।
रोहित शर्मा पिछले चार वर्षों से भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाल रहे थे और उन्होंने टीम को कई घरेलू सीरीज में जीत दिलाई। वहीं विराट कोहली की कप्तानी में टीम ने टेस्ट क्रिकेट में एक नई पहचान बनाई। कोहली के नेतृत्व में भारत ने विदेशों में 15 टेस्ट मैच जीते, जो किसी भी भारतीय कप्तान के लिए एक बड़ा रिकॉर्ड है। उन्होंने आक्रामक और जुनूनी कप्तानी से टीम को नई दिशा दी और टेस्ट क्रिकेट में भारत को शीर्ष टीमों में बनाए रखा।
इन दोनों अनुभवी कप्तानों के हटने के बाद टीम में लीडरशिप का संकट खड़ा हो गया है। वर्तमान में जसप्रीत बुमराह, केएल राहुल, मोहम्मद शमी और रवींद्र जडेजा ही ऐसे सीनियर खिलाड़ी बचे हैं जो अनुभव के आधार पर टीम का नेतृत्व कर सकते हैं।
केएल राहुल और जसप्रीत बुमराह को पहले भी सीमित अवसरों पर कप्तानी का अनुभव मिल चुका है।
वहीं, युवा खिलाड़ियों में शुभमन गिल और ऋषभ पंत का नाम भी कप्तानी की दौड़ में सामने आ रहा है। दोनों ने अपनी आक्रामक बल्लेबाजी और मैदान पर आत्मविश्वास से सभी का ध्यान खींचा है।
बीसीसीआई को अब न केवल एक नया टेस्ट कप्तान चुनना है, बल्कि टेस्ट क्रिकेट में नेतृत्व की स्थिरता भी सुनिश्चित करनी है। कोहली और रोहित जैसे दिग्गजों की विदाई के बाद आने वाले समय में युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने, टीम में संतुलन बनाए रखने और विदेशी दौरों पर जीत की परंपरा को जारी रखने की जिम्मेदारी नए कप्तान पर होगी।
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