
कर्नल देव आनंद लोहामरोड़, सुरक्षा विशेषज्ञ
आज 26 फरवरी 2025 को 'बालाकोट एयर स्ट्राइक' के पूरे छ साल हो गए हैं। यह एक ऐसी घटना थी जिसने भारत की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक नई दिशा की शुरुआत मानी जा सकती है। बालाकोट एयरस्ट्राइक 26 फरवरी, 2019 को सुबह लगभग 3.30 बजे हुई थी। भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान में घुसकर भारत द्वारा की गई यह पहली हवाई बमबारी थी। 14 फरवरी 2019 को, पुलवामा में एक आतंकवादी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इस हमले ने भारत को आक्रोशित कर दिया और सरकार ने घटना को अंजाम देने वाले आतंकवादी एवं आतंकवादी समर्थकों को सबक सिखाने का अहम फैसला कियाथा।
बालाकोट एयर स्ट्राइक:-
पुलवामा के हमले के दो सप्ताह बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा यानी लाइन ऑफ़ कंट्रोल पार कर पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाके खैबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में जैश-ए- मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उस स्ट्राइक में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, उनको प्रशिक्षण देने वाले, संगठन के बड़े कमांडर और फिदायीन हमलों के लिए तैयार हो रहे जिहादियों को खत्म कर दिया गया था। 27 फरवरी 2019 को किस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की डॉग-फाइट में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 को मार गिराया। पाकिस्तान ने भी मिग-21 को मार गिराया और विंग कमांडर अभिनंदन को गिरफ्तार कर लिया था। भारत की कूटनीति के फल स्वरुप दो दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था ।
परिणाम:-
सैन्य शक्ति को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया तथा सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक नई दिशा की शुरुआत की। इस अवधि में कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं:
राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती:-
भारतीय वायुसेना ने फ्रांस से अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल किया, जिससे वायु शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
स्वदेशी रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भर भारत:-
रक्षा उपकरणों और हथियारों के निर्माण में 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा दिया गया।आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत ने तेजस लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अन्य स्वदेशी हथियार प्रणालियों को विकसित किया है। निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए रक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए गए।
साइबर और अंतरिक्ष सुरक्षा:-
साइबर हमलों से बचाव के लिए नई सुरक्षा नीतियाँ बनाई गईं। अंतरिक्ष रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया। जिससे भारत अंतरिक्ष रक्षा में सक्षम देशों की श्रेणी में आ गया।
सीमा सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण:-
भारत ने नियंत्रण रेखा (LoC) और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया एवं निगरानी और गश्त को और अधिक सख्त किया है।स्मार्ट फेंसिंग, आधुनिक ड्रोन निगरानी और उन्नत उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग कर सीमा की सुरक्षा को और मजबूत किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कूटनीति:-
अमेरिका, फ्रांस, रूस और अन्य देशों के साथ रक्षा समझौतों को और मजबूत किया गया। क्वाड (Quad) जैसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा गठबंधनों में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हुई। पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने के लिए निरंतर प्रयास किए गए।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति:-
भारत की ‘जीरो टॉलरेंस टू टेररिज्म’ नीति को वैश्विक समर्थन मिला है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा है। जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती से लागू किया गया। आतंकी संगठनों के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की गई। गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA) को और प्रभावी बनाया गया।
ड्रोन और आधुनिक युद्ध तकनीक:-
सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ी है, जिसका मुकाबला करने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों ने उचित कदम उठाने के साथ-साथ देश में निर्मित संसाधनों की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया है
निष्कर्ष:-
बालाकोट हवाई हमले के छह साल बाद, भारत न केवल अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने में सफल रहा है, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भी अधिक सशक्त हुआ है। आधुनिक हथियार प्रणाली, स्वदेशी रक्षा उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ के कारण भारत अब एक और अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति बन चुका है ।भारत ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है, बल्कि अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीकों और वैश्विक सहयोग को भी मजबूत किया है। यह भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को और अधिक सक्षम बनाता है।