
तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल हादसा बेहद डरावने हालात में तब्दील हो चुका है। यहां टनल में फंसे 8 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिशें लगातार नाकाम हो रही हैं। बचाव कार्य में अपनाए जा रहे सभी तरीकों में कोई न कोई नया खतरा सामने आ रहा है। लगातार घुसता पानी और धंसता मलबा बचाव कार्य में सबसे बड़ी रुकावट बने हुए हैं।
बचाव दल अब मजदूरों से केवल 50 मीटर की दूरी पर हैं, लेकिन मलबे का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले के मुकाबले मलबे की दीवार अब एक मीटर और बढ़ चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि टनल अब अस्थिर हो चुका है और अतिरिक्त खुदाई से बचाव कर्मियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हर मिनट टनल में 3200 लीटर पानी घुस रहा है, जिससे कीचड़ और बढ़ता जा रहा है। राहत दल पानी निकालने में जुटे हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
इस संकट को और बढ़ाते हुए एलएंडटी टीम एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों के माध्यम से मलबे के नीचे की स्थिति का आकलन कर रही है। सरकार ने नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से टनल की स्थिति की जांच के लिए भू-सर्वेक्षण डेटा मांगा है, ताकि कोई और दुर्घटना ना हो। भूवैज्ञानिकों की टीम ने सैंपल इकट्ठा कर लैब भेजे हैं, और रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे का बचाव कार्य शुरू होगा।
इसके अलावा, एनडीआरएफ टीम द्वारा उपयोग की जा रही कन्वेयर बेल्ट की स्थिति भी खराब हो गई है और उसके टूटने का खतरा है। इसकी मरम्मत कार्य भी शुरू कर दिया गया है। टनल में प्रवेश के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग के प्रस्ताव को अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। वर्तमान में, 5 गैस-कटिंग मशीनें लगातार चल रही हैं जो टीबीएम को काट रही हैं।
टनल में फंसे मजदूरों की लोकेशन को उनके मोबाइल फोन सिग्नल के आधार पर ट्रैक किया जा रहा है। बचाव कार्य में 584 विशेषज्ञ कर्मी और 14 विशेष प्रशिक्षित 'रैट-होल माइनर्स' तैनात हैं, साथ ही स्निफर डॉग स्क्वाड भी मदद कर रहा है।
शनिवार (22 फरवरी) को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल का एक हिस्सा गिर गया था। तब से अब तक तीन दिन से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन फंसे मजदूरों की कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई है। तेलंगाना के मंत्री जे कृष्णा राव ने कहा है कि टनल हादसे में मजदूरों के जीवित होने की संभावना बहुत कम है।