
गूगल डीपमाइंड के सीनियर डायरेक्टर मनीष गुप्ता ने हाल ही में एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के संभावित प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एआई, खासकर गूगल के प्रोडक्ट्स जैसे जेमिनी 2.0 और अल्फाफोल्ड, हमारे दैनिक जीवन में बड़े बदलाव ला सकते हैं। मनीष गुप्ता ने अपने अनुभवों और विशेषज्ञता के साथ यह स्पष्ट किया कि एआई न केवल तकनीकी क्षेत्रों में, बल्कि विभिन्न कला रूपों में भी सुधार ला सकता है।
उन्होंने उदाहरण दिया कि संगीतकार और चित्रकार जैसे कलाकार अब एआई का उपयोग करके अपनी रचनाओं को और भी बेहतर और प्रभावशाली बना रहे हैं। इस प्रकार, एआई उनके रचनात्मक क्षितिज को विस्तारित कर रहा है। इसके अलावा, मनीष गुप्ता ने बताया कि भारत में एआई की मदद से कैसे करोड़ों लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया जा सकता है।
भारत में, जहां बड़ी संख्या में लोग सीमित संसाधनों के साथ काम करते हैं, एआई का उपयोग कई क्षेत्रों में हो सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और सार्वजनिक सेवाएं। मनीष गुप्ता ने बताया कि एआई की मदद से ग्रामीण और दूर-दराज इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कृषि क्षेत्र में सुधार हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि एआई की न केवल सामाजिक और आर्थिक बदलावों में अहम भूमिका होगी, बल्कि यह भारत को तकनीकी तौर पर सशक्त बनाने में भी सहायक साबित हो सकता है। भारत, जो तकनीकी दृष्टि से तेजी से विकसित हो रहा है, एआई का लाभ उठाकर अपने युवाओं को नई दिशा दे सकता है और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार कर सकता है।
इसके अलावा, मनीष गुप्ता ने यह भी कहा कि एआई का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह समस्याओं को हल करने के तरीके को बहुत तेजी से बदल सकता है। जैसे-जैसे एआई तकनीक में सुधार हो रहा है, लोग उसे अपनी दैनिक जरूरतों और चुनौतियों के लिए भी अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, न केवल विकास की गति तेज होगी, बल्कि समाज में समग्र सुधार भी आएगा।
मनीष गुप्ता का यह मानना है कि एआई भारत को और अधिक समृद्ध बना सकता है, यदि इसे सही दिशा में लागू किया जाए और इसके लिए सही नीतियां बनाई जाएं। इस तरह, एआई का उपयोग केवल आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए नहीं, बल्कि भारतीय समाज की समग्र भलाई के लिए भी किया जा सकता है।