ताजा खबर

"प्रधानमंत्री मोदी की 2025 अमेरिका यात्रा: भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा और रणनीतिक साझेदारी"

12, Feb 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 31

2025 @ मोदी अमेरिका यात्रा .....

कर्नल देव आनंद लोहामरोड, 
सुरक्षा विशेषज्ञ

   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 और 13 फरवरी 2025 को अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर होगे। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल मैं पीएम मोदी की यह पहली अमेरिका यात्रा होगी। हाल ही में 27 जनवरी को ट्रम्प - नरेंद्र मोदी की पहली बार बातचीत हुई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया था। ट्रम्प 2.0 प्रशासन के कार्यभार संभालने के बाद वाशिंगटन द्वारा अमेरिकी विदेश मंत्री मारो रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ज़ ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ क्रमशः अपनी पहली द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय बैठकें कीं थी जो भारत के लिए खास महत्व दिए जाने तथा अब भारत के प्रधानमंत्री थे अमेरिका दौरा दोनों देशों के बीच में विशेष सामरिक साझेदारी की ओर साफ-साफ इशारा करते हैं। 

भूमिका.....
   भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ दशकों में लगातार प्रगाढ़ होते गए हैं। विशेष रूप से बदलते वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार, कूटनीति और सांस्कृतिक संबंधों में सहयोग बढ़ा है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने (2017-2021) के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में कई सकारात्मक पहल हुईं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी उभरीं। इस कार्यकाल के दौरान ही भारत-अमेरिका के लिए एक रणनीतिक साझेदार से एक अपरिहार्य साझेदार बन गया एवं भारत और अमेरिका पहले से कहीं अधिक करीब आ गए थे।

ट्रंप प्रथम कार्यकाल के अहम  फैसले:
    कुछ तथ्य ध्यान देने योग्य है कि ट्रम्प के  2017 से 2020 की अवधि के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे , जिसने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नया रूप दिया था  उल्लेखनीय कार्यों में पेरिस जलवायु समझौते और ईरान परमाणु समझौते से हटना, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ ऐतिहासिक बैठक और पश्चिम एशिया में अब्राहम समझौते की स्थापना शामिल थी। ट्रम्प के पहले कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में महत्वपूर्ण विकास हुआ। रक्षा से लेकर व्यापार, तकनीक, भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच संबंध विकसित हुए हैं। 2019 में अमेरिका से भारत की रक्षा खरीद सालाना 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत को रणनीतिक व्यापार प्राधिकरण (एसटीए) लाइसेंस अपवाद के टियर I में प्रमोट किया गया था। इसने भारत के लिए उच्च स्तरीय अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकियों को महत्वपूर्ण रूप से खोल दिया है। भारत को अमेरिका का "मेजर डिफेंस पार्टनर" का दर्जा मिला।COMCASA (Communications Compatibility and Security Agreement) एवं BECA (Basic Exchange and Cooperation Agreement)जैसे अहम एवं महत्वपूर्ण रक्षा सोदे संपन्न हुए ।
    इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र में भी ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हुए थे। ट्रंप प्रेसीडेंसी ने अप्रैल 2018 में द्विपक्षीय रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी की शुरुआत की, जिसके तहत भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल और एलएनजी का आयात करना शुरू किया। केवल दो साल में इस आयात का मूल्य शून्य से बढ़कर 6.7 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे अमेरिका भारत का हाइड्रोकार्बन आयात का छठा सबसे बड़ा स्रोत बन गया।

ट्रंप 2.0:  भारत-अमेरिका संबंध : - 
    भारत और अमेरिका आज दुनिया के दो सबसे महत्वपूर्ण लोकतंत्र हैं। भारत को एक विनिर्माण महाशक्ति में बदलने की प्रधानमंत्री मोदी की पहल राष्ट्रपति ट्रम्प के "अमेरिका को फिर से महान बनाओ" एजेंडे के साथ सहज रूप से मेल खाती है। दोनों नेताओं का एक साझा लक्ष्य है:अपने-अपने देशों की आर्थिक और राजनीतिक ताकत को बढ़ाना, जिससे उनके लोकतंत्र मज़बूत हों।“जबकि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच कई क्षेत्रों में समानता है, यह स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि हमारे पास अलग-अलग सांस्कृतिक और दार्शनिक मतभेद भी हैं, जो कुछ मतभेदों को जन्म दे सकते हैं।  प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 13 फरवरी को वाशिंगटन डीसी में बैठक निर्धारित है। 

1. द्विपक्षीय वार्ता और रणनीतिक साझेदारी: इस दौरान दोनों नेता व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। यह बैठक दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी।

2. व्यापारिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण: अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 118 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है। इस यात्रा के दौरान, दोनों देश व्यापार घाटे को कम करने, आयात शुल्क में संशोधन, और निष्पक्ष व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

3. कूटनीतिक और वैश्विक सहयोग : प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से पहले फ्रांस में 'एआई एक्शन समिट' में भागीदारी भारत की तकनीकी महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है। अमेरिका में भी, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी, जिससे वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में भारत की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी। 
COMCASA , BECA ,I2U2 (भारत, इजरायल, अमेरिका और UAE) एवं QUAD ( भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) जैसे समूह होकर माध्यम से वैश्विक स्तर पर सहयोग बढ़ाने का पूरा प्रयास करना होगा।  
4. रक्षा सहयोग का विस्तार: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौतों की उम्मीद है। इसमें भारत में जेट इंजन के निर्माण के लिए जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच साझेदारी, प्रीडेटर ड्रोन की खरीद, और अन्य रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन जैसे पहल शामिल हैं।आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच कई नए रक्षा सौदे और समझौते हो सकते हैं:
(i) F-35 और F-18 लड़ाकू विमानों की संभावित खरीद
भारत अपनी नौसेना और वायुसेना के लिए अमेरिका से F-18 सुपर हॉर्नेट या F-35 स्टील्थ फाइटर खरीद सकता है।
(ii) AUKUS और QUAD में भारत की भूमिका
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के AUKUS गठबंधन में भारत की भागीदारी बढ़ सकती है, जिससे भारत को न्यूक्लियर सबमरीन तकनीक मिल सकती है।
(iii) एडवांस्ड मिसाइल रक्षा प्रणाली
भारत अमेरिका से THAAD और पैट्रियट मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद सकता है, जिससे भारत की हवाई सुरक्षा मजबूत होगी।
(iv) संयुक्त सैन्य अभ्यास और सैन्य उत्पादन
भारत और अमेरिका के बीच मालाबार, युद्ध अभ्यास और टाइगर ट्रायम्फ जैसे सैन्य अभ्यास बढ़ सकते हैं।
अमेरिकी कंपनियां भारत में मेक इन इंडिया के तहत हथियार उत्पादन में निवेश कर सकती हैं।

5. अवैध आव्रजन और वीजा मुद्दे: अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों की वापसी और कुशल कार्यकर्ता वीजा की प्रक्रिया को सरल बनाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की वापसी का मुद्दा भी चर्चा का एक प्रमुख बिंदु होगा। भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका से अवैध प्रवासियों को वापस लेने के लिए तैयार है, लेकिन इस प्रक्रिया में मानवीय व्यवहार की उम्मीद करता है। 

6. तकनीकी और ऊर्जा सहयोग: दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर निर्माण, और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों की उम्मीद है। इससे दोनों देशों के आर्थिक और तकनीकी संबंधों में और मजबूती आएगी।

7.  चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला:-
   इस यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला करने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करेंगे। विशेष रूप से, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) की योजना पर विचार किया जाएगा, जो चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक विकल्प हो सकता है। भारत और अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्वाड साझेदारी को और मजबूत करने पर विचार करेंगे। यह कदम क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा।
निष्कर्ष:- 
    भारत अमेरिकी उद्यमों के लिए सबसे बड़ा बाजार है तथा अमेरिका भारत को निवेश और प्रौद्योगिकी के लिए एक केंद्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ भारत को भी अमेरिका के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में रखना चाहेगा तथा दूसरी ओर भारत को भी इस साझेदारी की तरफ कदम उठाने की आवश्यकत है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। दोनों देश न केवल हथियारों और सैन्य तकनीक का आदान-प्रदान कर रहे हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी भी बढ़ा रहे हैं। आने वाले वर्षों में ड्रोन, फाइटर जेट, मिसाइल सिस्टम और नौसैनिक रक्षा उपकरणों के सौदे हो सकते हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम टेक्नोलॉजी पर भी सहयोग बढ़ने की संभावना है।



About author

News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news

AB 208 Nirman Nagar Vivekanand Marg Ajmer road jaipur - 302019


Scroll to Top