
ममता बनर्जी के लिए साल 2025 चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, जहां पार्टी की अंदरूनी और बाहरी दोनों समस्याएं बढ़ रही हैं। पहले मुर्शिदाबाद में वक्फ बोर्ड से जुड़े कानून के विरोध में हुए दंगे हुए, जिनमें 3 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की दो जीपों में आग लगा दी गई और कई दुकानों को भी निशाना बनाया गया। ममता बनर्जी पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि हिंसा के दौरान पुलिस तैयारी नहीं थी, जबकि सोशल मीडिया पर इसका अंदेशा पहले से था। ममता ने इस पर बयान दिया कि यह कानून केंद्र द्वारा लागू किया गया है और राज्य सरकार इससे संबंधित नहीं है। विपक्ष ने इस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया है, जबकि कुछ रिपोर्ट्स में बांग्लादेशी आतंकवादी संगठनों का हाथ होने की संभावना जताई गई है, लेकिन ममता ने इसे केंद्र की जिम्मेदारी बताया।
दूसरी ओर, ममता की पार्टी TMC के अंदर भी बड़े विवाद उभर कर सामने आए हैं। 4 अप्रैल को चुनाव आयोग द्वारा वोटर ID को आधार से जोड़ने के फैसले के विरोध में TMC सांसदों ने ज्ञापन सौंपा, लेकिन इस दौरान महुआ मोइत्रा का नाम सूची में नहीं था, जिससे विवाद हुआ। महुआ मोइत्रा और कल्याण बनर्जी के बीच तीखी बहस हुई और कुछ रिपोर्ट्स में तो यह भी दावा किया गया कि महुआ ने कल्याण को गिरफ्तार करवाने की धमकी दी। इस विवाद ने पार्टी के अंदर के संघर्षों को उजागर किया और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
इन दोनों घटनाओं ने ममता बनर्जी की राजनीतिक स्थिति को कमजोर किया है और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों में यह उनके लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। 2026 के चुनावों में उन्हें इन संकटों से पार पाना होगा, वरना उनकी सत्ता पर खतरे के बादल मंडरा सकते हैं।
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