
घरेलू शेयर बाजार में विदेशी पूंजी के लगातार प्रवाह और अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के चलते भारतीय रुपया गुरुवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में मजबूत नजर आया। शुरुआती कारोबार में रुपये ने 10 पैसे की बढ़त दर्ज करते हुए 85.54 प्रति डॉलर के स्तर को छुआ।
रुपये का कारोबार – खुला मज़बूती के साथ
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.48 प्रति डॉलर पर खुला और शुरुआती सत्र में यह 85.54 तक फिसल गया, जो पिछले सत्र के मुकाबले 10 पैसे की मजबूती को दर्शाता है। बुधवार को रुपया 85.64 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
हालांकि विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, शेयर बाजार में सुस्ती और कच्चे तेल की कीमतों में हल्की तेजी की वजह से रुपये की मजबूती पर कुछ हद तक ब्रेक लगा।
वैश्विक संकेत: डॉलर सूचकांक और कच्चे तेल की चाल
डॉलर सूचकांक, जो अमेरिकी डॉलर को छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले दर्शाता है, 0.14% की बढ़त के साथ 99.28 पर रहा।
ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 0.96% की वृद्धि देखी गई और यह 66.48 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
शेयर बाजार में गिरावट लेकिन FII ने दिखाई रुचि
BSE सेंसेक्स: 333.47 अंकों की गिरावट के साथ 76,710.82 पर बंद
Nifty 50: 127.55 अंक गिरकर 23,309.65 पर
हालांकि बाजार में गिरावट रही, लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने लगातार दूसरे दिन भी भारी निवेश किया। बुधवार को FII ने 3,936.42 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, जिससे रुपये को समर्थन मिला।
इससे पहले बुधवार को भी रुपया 16 पैसे की मजबूती के साथ 85.64 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। रुपये की इस मजबूती के पीछे एक बड़ा कारण अमेरिका द्वारा टैरिफ में 90 दिनों की राहत देना रहा, जिससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स को राहत मिली।
इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और विदेशी निवेश की वापसी ने भी रुपये को सहारा दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में भी अगर अंतरराष्ट्रीय संकेत अनुकूल रहे तो रुपये में स्थिरता बनी रह सकती है।
भारतीय रुपया फिलहाल मजबूत होता दिखाई दे रहा है, और इसके पीछे की अहम वजहें हैं—अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, कच्चे तेल की नरम कीमतें, और विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी। हालांकि शेयर बाजार की गिरावट और वैश्विक अस्थिरता कुछ दबाव जरूर बना सकती हैं, लेकिन फिलहाल रुपया स्थिरता की दिशा में अग्रसर है।