
सोहा अली खान भारतीय सिनेमा की प्रतिष्ठित हस्तियों में गिनी जाती हैं। वह दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान मंसूर अली खान पटौदी की बेटी हैं। उनके भाई सैफ अली खान और भाभी करीना कपूर भी इंडस्ट्री के जाने-माने चेहरे हैं। एक समृद्ध विरासत से आने वाली सोहा ने 'रंग दे बसंती', 'तुम मिले' जैसी फिल्मों में काम किया है, हालांकि वह उतनी बड़ी स्टार नहीं बन पाईं जितनी उनके परिवार के बाकी सदस्य।
हाल ही में 'स्क्रीन' को दिए एक इंटरव्यू में सोहा ने बताया कि उन्हें अक्सर अपने निजी फैसलों के लिए ट्रोल किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें बेटे की मां न होने पर भी तंज कसते हैं, जबकि वह अपनी बेटी इनाया के साथ बेहद खुश हैं। सोहा ने यह भी बताया कि पढ़े-लिखे और आधुनिक समझे जाने वाले लोग भी मानते हैं कि बिना बेटे के एक औरत की जिंदगी अधूरी होती है, जो बेहद निराशाजनक सोच है।
सोहा अली खान ने बताया कि उन्होंने अब ट्रोलिंग को लेकर एक मोटी चमड़ी बना ली है, लेकिन फिर भी एक बात उन्हें अंदर तक चुभती है।
"जब मैं कोई सामान्य पोस्ट भी करती हूं – दिवाली, होली या बेटी के साथ कोई प्यारा पल – तो लोग तुरंत धर्म पर कमेंट करने लगते हैं। कोई पूछता है कि आपने कितने गुलाब रखे हैं? कोई कहता है कि आप मुस्लिम होकर होली क्यों मना रही हैं? यह बहुत अजीब और दुखद है। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि उनकी मां शर्मिला टैगोर ने एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी, और अब उन्होंने भी एक हिंदू व्यक्ति (कुणाल खेमू) से शादी की है, लेकिन यह लोगों को आज भी हज़म नहीं हो रहा।
सोहा और कुणाल खेमू की जोड़ी को बॉलीवुड की सबसे समझदार और शांत जोड़ियों में से एक माना जाता है। दोनों अलग-अलग धार्मिक पृष्ठभूमि से होने के बावजूद एक-दूसरे की आस्था और संस्कृति का सम्मान करते हैं। उनकी शादी 2015 में हुई थी और 2017 में उन्होंने अपनी बेटी इनाया नौमी खेमू का स्वागत किया।
सोहा बताती हैं कि उनका रिश्ता एक-दूसरे की सोच और वैल्यूज पर टिका है, न कि धर्म पर। वह और कुणाल अक्सर अपने परिवार की झलकियां सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और फैन्स भी उनकी फैमिली को काफी पसंद करते हैं।
सोहा सिर्फ एक्ट्रेस ही नहीं, बल्कि एक लेखिका भी हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर अपनी राय रखती हैं। हाल ही में वह अपनी अपकमिंग फिल्म छोरी 2 को लेकर भी चर्चा में हैं।
सोहा अली खान की यह बात एक बड़ा सामाजिक संदेश देती है – कि आज भी हमारे समाज में धर्म के आधार पर लोगों को जज किया जाता है, यहां तक कि उन महिलाओं को भी जो पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर और अपनी जिंदगी में संतुलन बनाए हुए हैं। सोहा की बातें न सिर्फ ट्रोलिंग का सच उजागर करती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि इंसानियत और सम्मान, किसी भी धर्म से ऊपर होने चाहिए।