गुजरात में अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन को दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली है। इसी सिलसिले में कांग्रेस सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने गुजरात के अरावली ज़िले के मोडासा में आयोजित जिला कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया। यह सम्मेलन न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए ऊर्जा और दिशा तय करने का माध्यम था, बल्कि इसमें राहुल गांधी ने पार्टी की भावी रणनीति की भी झलक दी।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत एक स्पष्ट संदेश के साथ की: "यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है, बल्कि यह एक गहरी विचारधारा की लड़ाई है।" उन्होंने कहा कि आज देश की राजनीति दो प्रमुख विचारधाराओं के बीच की टकराव बन चुकी है—एक तरफ भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की विचारधारा है, और दूसरी तरफ कांग्रेस की समावेशी और लोकतांत्रिक सोच।
राहुल गांधी ने ज़ोर देकर कहा कि पूरे देश को यह मालूम है कि अगर कोई पार्टी बीजेपी और आरएसएस की ताकतों को टक्कर दे सकती है, तो वह केवल और केवल कांग्रेस पार्टी है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को याद दिलाया कि यह लड़ाई सिर्फ चुनाव जीतने की नहीं है, बल्कि यह देश की आत्मा को बचाने की लड़ाई है।
"अगर हमें भाजपा और आरएसएस की नफ़रत और विभाजनकारी सोच को देश से हराना है, तो उसका रास्ता गुजरात से होकर जाता है," राहुल गांधी ने कहा। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि गुजरात कांग्रेस के लिए महज़ एक राज्य नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और वैचारिक मोर्चा है जहां से पूरे देश की दिशा तय हो सकती है।
राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे हर गांव, हर मोहल्ले और हर बूथ तक कांग्रेस का संदेश पहुँचाएँ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ नेताओं की नहीं, बल्कि हर कार्यकर्ता की है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा सच्चाई, न्याय और समानता पर आधारित है। यह पार्टी उन आवाज़ों की है, जिन्हें दबाया गया है, और उन लोगों की है जो एकजुट भारत का सपना देखते हैं।
अंत में राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि अगर वे एकजुट होकर मेहनत करें, लोगों के बीच जाएँ, और कांग्रेस की नीतियों को सही ढंग से जनता तक पहुँचाएँ, तो गुजरात में बदलाव संभव है—और जब गुजरात बदलेगा, तो देश बदलेगा।